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ज़िन्दगी के शोर से खता-ताल्लुक़ होकर मैं तेरी ख़ामोशी

ज़िन्दगी के शोर से खता-ताल्लुक़ होकर
मैं तेरी ख़ामोशी लिखने बैठता हूँ,

एहसास होता है ख़ुदा तेरी मौजूदगी का
जब मैं उस पेड़ की छाँव में बैठता हूँ,

खामोशियाँ भी इतनी खामोश है उसकी
ख्वाब में आजाए तो बारहा उठकर बैठता हूँ,

ख़ुदा तो ख़ुदा उसकी भी इबादत करता हूँ
हर रोज़ जब नमाज़ अता करने बैठता हूँ,

तेरा दीदार हो या महज़ तुझसे बातें करने
न जाने कितनें तक़सीर कर बैठाता हूँ,

तेरी ख़ामोशयों से अमूमन ऊब कर
मैं हर दूसरे पेड़ की छाँव में बैठता हूँ,

पर जिंदगी के शोर से खता-ताल्लुक़ होकर
मैं तेरी ही खामोशियाँ लिखने बैठता हूँ... #nojotohindi
#nojotorajkot
#kalamse
#2liners
ज़िन्दगी के शोर से खता-ताल्लुक़ होकर
मैं तेरी ख़ामोशी लिखने बैठता हूँ,

एहसास होता है ख़ुदा तेरी मौजूदगी का
जब मैं उस पेड़ की छाँव में बैठता हूँ,

खामोशियाँ भी इतनी खामोश है उसकी
ख्वाब में आजाए तो बारहा उठकर बैठता हूँ,

ख़ुदा तो ख़ुदा उसकी भी इबादत करता हूँ
हर रोज़ जब नमाज़ अता करने बैठता हूँ,

तेरा दीदार हो या महज़ तुझसे बातें करने
न जाने कितनें तक़सीर कर बैठाता हूँ,

तेरी ख़ामोशयों से अमूमन ऊब कर
मैं हर दूसरे पेड़ की छाँव में बैठता हूँ,

पर जिंदगी के शोर से खता-ताल्लुक़ होकर
मैं तेरी ही खामोशियाँ लिखने बैठता हूँ... #nojotohindi
#nojotorajkot
#kalamse
#2liners