मेहराब ऊँचे रखे है, लोग छोटे गुजरते है, अब वो दौर गए, के भगवान उतरते है, जो कर दिए मैंने खुस्त, वो ज़ख़्म फिर उभरते है, देखना है,मैं खाक होता हूँ? या हालात फिर सुधरते है, तजुर्बा है बाजारों को बिकने का, लोग हाथों में दाम लिए फिरते है, हर किसी की बोली पे महंगाई, मोल भाव करो तो दाम गिरते है..।।— % & मेहराब - दरवाजे के ऊपर आधा गोल आकार, खुस्त - old/weak #yqdidi #yqbaba #hindipoetry #yqbhaijan #shayari #random #randomnazm