आंखें आंसुओं से भीगे थे, होठ बेजुबान ख़ामोश थे तुमसे मिलना ख्वाहिश थी मेरी जो मिला वो स्वीकार है हमें पर आंखे आज भी भीगे हैं, होठ आज भी बेजुबान ख़ामोश हैं। ©Dr. H(s)uman , Homoeopath #स्वीकार