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भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः ।

भागीरथि सुखदायिनि 
मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः ।
नाहं जाने तव महिमानं
 पाहि कृपामयि मामज्ञानम् ॥2॥



हे भागीरथि ! तुम सब प्राणियों को 
सुख देती हो, हे माता ! वेद और शास्त्र में 
तुम्हारे जल का माहात्म्य वर्णित है, 
मैं तुम्हारी महिमा कुछ नहीं जानता,
 हे दयामयि ! मुझ अज्ञानी की रक्षा करो। माँ गङ्गा
तुम्हें बारम्बार नमस्कार है।

गङ्गा सप्तमी की हार्दिक शुभकामनाएं
भागीरथि सुखदायिनि 
मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः ।
नाहं जाने तव महिमानं
 पाहि कृपामयि मामज्ञानम् ॥2॥



हे भागीरथि ! तुम सब प्राणियों को 
सुख देती हो, हे माता ! वेद और शास्त्र में 
तुम्हारे जल का माहात्म्य वर्णित है, 
मैं तुम्हारी महिमा कुछ नहीं जानता,
 हे दयामयि ! मुझ अज्ञानी की रक्षा करो। माँ गङ्गा
तुम्हें बारम्बार नमस्कार है।

गङ्गा सप्तमी की हार्दिक शुभकामनाएं

माँ गङ्गा तुम्हें बारम्बार नमस्कार है। गङ्गा सप्तमी की हार्दिक शुभकामनाएं