कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो, दुशासन दरबारों से| स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं, वे क्या लाज बचायेंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे| #asifarapecase