रात के घने अँधेरों से रोशनदान से झाँकते सबेरों से धुल उड़ाती दोपहरों से सागर की उठती गिरती लहरों से मै पूछना चाहता हूँ तुम्हारा मज़हब क्या है? दरख़्त की शाखों से रक्त की बोतलों से आकाश के बादलों से मै पूछना चाहता हूँ तुम्हारी जाति क्या है? पंछियों की चेचाहट से किसी के कदमों की आहट से नवजात की किलकारियों से माँ की लोरियों से मै पूछना चाहता हूँ तुम्हारी भाषा क्या है? सँविधान की धाराओं से कुरआन की आयतों से बाइबिल के संदेशों से गुरुओं की बाणी से में पूछना चाहता हूँ तुम्हारा क्षेत्र क्या है? #NojotoQuote रात के घने अँधेरों से रोशनदान से झाँकते सबेरों से धुल उड़ाती दोपहरों से सागर की उठती गिरती लहरों से मै पूछना चाहता हूँ तुम्हारा मज़हब क्या है? दरख़्त की शाखों से