पुकार Read in caption बस कुछ दिन की बयानबाजी और कुछ दिन के नारे फिर खुलेआम घूमेंगे मेरे हत्यारे गिद्धों की तरह नोच कर खा लिया ना जाने कौन सा सूकूं उन्होंने पा लिया काश के उनसे भी मजबूत मैं बन पाती काश की राह चलते बात मेरी इज्जत पर ना आती ए खुदा क्यों तूने मुझे 'आकर्षक' बनाया क्यों उन दरिंदों ने मुझ संग अपना मन बहलाया