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माथे तिलक लगाकर हमने ,वतन तुझको गले लगाया था । वर

माथे तिलक लगाकर हमने ,वतन तुझको गले लगाया था ।
वर माला ठुकराकर हमने ,फाँसी को गले चढ़ाया था ।
आने वाली नस्लो को ,ये सोचकर मुक्त कराया था ।
की ना होगा अन्याय कोई ,ना चीर हरण कोई होगा ।
अमर हु लेकिन कष्ट बहोत है ,बाकी हमारे ह्रदय में ।
हमने ना सोचा ,अशफ़ाक़ अलग हो ।
भगत गुरु के जोड़ो से ।
छुब्ध ह्रदय है ,मन में करुणा ।
कैसे ये दिन बीत रहे है ।
हमने क्या क्या सोच था ,कैसे रैन ये बीत रहे है ।
मा तू है आज़ाद मगर ,ह्रदय में आज़ादी है नही ।
भोली भाली जनता सारी ,शाम सवेरे लुटती रही ।
सुन लो मेरी बात तो अब ,भगत सिंह हु बोल रहा ।
आज़ादी दिलवाई है ,उसका सदुपयोग करो ।।
बात गलत हो ,विरोध करो ।
और जीवन का उदघोष करो ।
#z ईशान जब्बार #भगत सिंह मैं बोल रहा
माथे तिलक लगाकर हमने ,वतन तुझको गले लगाया था ।
वर माला ठुकराकर हमने ,फाँसी को गले चढ़ाया था ।
आने वाली नस्लो को ,ये सोचकर मुक्त कराया था ।
की ना होगा अन्याय कोई ,ना चीर हरण कोई होगा ।
अमर हु लेकिन कष्ट बहोत है ,बाकी हमारे ह्रदय में ।
हमने ना सोचा ,अशफ़ाक़ अलग हो ।
भगत गुरु के जोड़ो से ।
छुब्ध ह्रदय है ,मन में करुणा ।
कैसे ये दिन बीत रहे है ।
हमने क्या क्या सोच था ,कैसे रैन ये बीत रहे है ।
मा तू है आज़ाद मगर ,ह्रदय में आज़ादी है नही ।
भोली भाली जनता सारी ,शाम सवेरे लुटती रही ।
सुन लो मेरी बात तो अब ,भगत सिंह हु बोल रहा ।
आज़ादी दिलवाई है ,उसका सदुपयोग करो ।।
बात गलत हो ,विरोध करो ।
और जीवन का उदघोष करो ।
#z ईशान जब्बार #भगत सिंह मैं बोल रहा

#भगत सिंह मैं बोल रहा #कविता #z