वो छोटा सा परिवार था, ठंड से उनलोगों का बुरा हाल था । उनलोगों के तन पर वस्त्र बहुत कम था, कड़ाके के ठंड का उनपे सितम था। चारों तरफ सन्नाटा और अंधकार था , एक छोटे से तंबू पर उनलोगों का अधिकार था। बिस्कुट वैगरह के पन्नी जलाकर हाथ सेकते और सोते हैं , कंपकपाती ठंड हवाओं की मार से रोते हैं ,बिलखते हैं । ऐसा वो बता रहे थे आस -पास हाथ सेक रहे यात्रियों से अपना दुख जता रहे थे #NojotoQuote ठंड की मार