पूनम की इस रात में,उजियारे के गीत। दिवस उष्ण अब ढल गया ,आया मौसम शीत।। रजनी पर यौवन चढ़ा,निखरे पल-पल रूप। खुले केश में यामिनी, दिखती बड़ी अनूप।। केशराशि को खोलकर ,हँसकर बोली रात। ईश्वर ने बख्शा मुझे, ये चंदा सौगात ।। रात कहे अंजान हूँ,किसको कहते धूप। धवल - ज्योत्सना से बढ़े,पल-पल मेरा रूप।। निशा नवेली नौलखा,पहना चंदा हार। झिलमिल तारक ओढ़नी,करे गगन शृंगार।। छेड़ रही है चाँदनी, मिलन की मीठी धुन। तेरी ही परछाई हूँ, चाँद पूनम के सुन।। कहती हैं ये चाँदनी,तेरा मोहक रूप। चंदा तेरे कारणे, स्निग्ध मेरा स्वरूप।। सुनीता बिश्नोलिया © ® #शरद पूर्णिमा #Chand #चाँद #रात