जेबें देखीं बटुआ देखा और देखा पहनावा, न दिल देखा न कविता देखी,देखा सिर्फ दिखावा, ओह मैंनु मिली नहीं रब सब अरदास झूठलावा, और दी होंके खुश है, इक एही दुआ कुबूल करावा क्यों हाथ पकड़ के अब मेरा मुझमें जान फूँकती हो, मुझे बेजान ही रहने दो मैंनु जचदा बेजान कहावा ©Kalamgeer #justpoetry