ना मैं मंदिर को जाऊं.. ना मस्जिद में मुझको पाऊं .. ना गिरिजा में बसता मैं.. ना ही गुरुद्वारे में खुद को लाऊं.. है मेरा रहनुमा साथ मेरे हर पल.. चलता हाथ थामें मेरे हर कदम.. क्यूं सुनूं किसी इक को मैं अब .. मैं तो खुदा तुझे खुद में ही पाऊं.. one God .. living within