इस बंजर दिल की जमी पर तो , तुमने आकर अपने प्यार का फूल खिला दिया इस दिल मे समा तो तुमने अपना आशियान बसा लिया बड़े देर से आये तुम महबूब मगर तुमने तो इस विरानियत को अपने मोहबत के रंग से खिला दिया - विवेक सिंह