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बीत रहा तरुणाई यौवन प्रेम अश्रु के धार मे कुंठित

बीत रहा तरुणाई यौवन 
प्रेम अश्रु के धार मे 
कुंठित जीवन ओढ़े देखा 
सबको इस बाजार मे 
हाए विधाता तेरी दुनियाँ 
क्यों है इतनी मजबूर 
कंधे सब दायित्व भुल 
हैं श्रम उद्यम से दूर

©Nadbrahm
  #Remember #Detox #responsibility 
#YouthOfIndia