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मन रूपी सागर में हर रोज लहर सी उठती है ,, कभी साग

मन रूपी सागर में हर रोज लहर सी उठती है  ,,
कभी सागर सी में ,अथाह हूं कभी लहरों से उद्विग्न हुई,,
कभी गैरों को समझाती हूं ,कभी खुद में डूबी रहती हूं ,,
यह वक्त बड़ा तूफानी है,,,चारों ओर तबाही फैली है ,
पर!!इतने में भी उम्मीद यही ,,यह मौसम का मंजर बदलेगा,,इस जीवन की है ,,
,रीत यही हर रात के बाद सवेरा है ,,
मत सोच के पगले इतना भी ,,
,खुशियों का रेला आना जाना है... 
(Ashi Singh)

©ashi singh मनोव्यथा... 

#PrideMonth
मन रूपी सागर में हर रोज लहर सी उठती है  ,,
कभी सागर सी में ,अथाह हूं कभी लहरों से उद्विग्न हुई,,
कभी गैरों को समझाती हूं ,कभी खुद में डूबी रहती हूं ,,
यह वक्त बड़ा तूफानी है,,,चारों ओर तबाही फैली है ,
पर!!इतने में भी उम्मीद यही ,,यह मौसम का मंजर बदलेगा,,इस जीवन की है ,,
,रीत यही हर रात के बाद सवेरा है ,,
मत सोच के पगले इतना भी ,,
,खुशियों का रेला आना जाना है... 
(Ashi Singh)

©ashi singh मनोव्यथा... 

#PrideMonth
ashisingh8780

Ashi Singh

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