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भारत तेरी धन्य धरा को, लहू से अपने सींचा है।। उन

भारत तेरी धन्य धरा को, 
लहू से अपने सींचा है।। 
उन्नति तेरी और नही कुछ, 
स्वप्नो का बगीचा है।। 
धन्य धरा है तेरी जिसने, 
जन्म दिया उन वीरों को। 
जिन्होंने अपना लहू बहाकर, 
लिखा तेरी तकदीरों को। 
( जय हिन्द जय भारत)

©Rohit Shrivastav
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