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सतलोक में शब्द से 16 पुत्रों की उत्पत्ति कबीर परमा

सतलोक में शब्द से 16 पुत्रों की उत्पत्ति
कबीर परमात्मा ने सतलोक में 16 द्वीप रचने के बाद सोलह शब्दों से सोलह पुत्रों की उत्पत्ति की। एक मानसरोवर की रचना की जिसमें अमृत भरा। 
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज

©Paramjeet kaur Mehra सम्पूर्ण सृष्टि रचना‘‘
पूर्ण ब्रह्म :- इस सृष्टि रचना में सतपुरुष-सतलोक का स्वामी (प्रभु), अलख पुरुष-अलख लोक का स्वामी, अगम पुरुष-अगम लोक का स्वामी तथा अनामी पुरुष-अनामी अकह लोक का स्वामी (प्रभु) तो एक ही पूर्ण ब्रह्म है, जो वास्तव में अविनाशी प्रभु है जो भिन्न-2 रूप धारण करके अपने चारों लोकों में रहता है। जिसके अन्तर्गत असंख्य ब्रह्माण्ड आते हैं।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
परब्रह्म :- यह केवल सात शंख ब्रह्माण्ड का स्वामी (प्रभु) है। यह अक्षर पुरुष भी कहलाता है। परन्तु यह तथा इसके ब्रह्माण्ड भी वास्तव में अविनाशी नहीं है।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज


#WorldAidsDay
सतलोक में शब्द से 16 पुत्रों की उत्पत्ति
कबीर परमात्मा ने सतलोक में 16 द्वीप रचने के बाद सोलह शब्दों से सोलह पुत्रों की उत्पत्ति की। एक मानसरोवर की रचना की जिसमें अमृत भरा। 
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज

©Paramjeet kaur Mehra सम्पूर्ण सृष्टि रचना‘‘
पूर्ण ब्रह्म :- इस सृष्टि रचना में सतपुरुष-सतलोक का स्वामी (प्रभु), अलख पुरुष-अलख लोक का स्वामी, अगम पुरुष-अगम लोक का स्वामी तथा अनामी पुरुष-अनामी अकह लोक का स्वामी (प्रभु) तो एक ही पूर्ण ब्रह्म है, जो वास्तव में अविनाशी प्रभु है जो भिन्न-2 रूप धारण करके अपने चारों लोकों में रहता है। जिसके अन्तर्गत असंख्य ब्रह्माण्ड आते हैं।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
परब्रह्म :- यह केवल सात शंख ब्रह्माण्ड का स्वामी (प्रभु) है। यह अक्षर पुरुष भी कहलाता है। परन्तु यह तथा इसके ब्रह्माण्ड भी वास्तव में अविनाशी नहीं है।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज


#WorldAidsDay

सम्पूर्ण सृष्टि रचना‘‘ पूर्ण ब्रह्म :- इस सृष्टि रचना में सतपुरुष-सतलोक का स्वामी (प्रभु), अलख पुरुष-अलख लोक का स्वामी, अगम पुरुष-अगम लोक का स्वामी तथा अनामी पुरुष-अनामी अकह लोक का स्वामी (प्रभु) तो एक ही पूर्ण ब्रह्म है, जो वास्तव में अविनाशी प्रभु है जो भिन्न-2 रूप धारण करके अपने चारों लोकों में रहता है। जिसके अन्तर्गत असंख्य ब्रह्माण्ड आते हैं। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज परब्रह्म :- यह केवल सात शंख ब्रह्माण्ड का स्वामी (प्रभु) है। यह अक्षर पुरुष भी कहलाता है। परन्तु यह तथा इसके ब्रह्माण्ड भी वास्तव में अविनाशी नहीं है। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज #WorldAidsDay #Life_experience