मैंने आसपास के लोगों से पूछा, उन्होंने बताया कि वो बुड्ढी अपनी दुकान बेचकर अब सड़क किनारे अपनी सब्जियां बेचती है।यह सुनते ही मेरी आंखों से आंसू बह निकले। मुझे समझ में आ गया कि उन्होंने मेरे इलाज के पैसों के लिए अपनी दुकान बेच दी। मैं दौड़ा दौड़ा उनके पास पहुंचा और उनके पैरों में गिर पड़ा। उन्होंने उठाकर मुझे गले से लगा लिया और कहा," मेरे लिए तुमसे बढ़कर कोई चीज प्यारी नहीं। क्या हुआ जो। हमारा खून का रिश्ता नहीं, मगर मैंने हृदय से तुम्हें अपना पोता माना है और मैं मरते दम तक इस रिश्ते को निभाऊंगी।" मैंने भी उन्हें गले लगाते हुए कहा," जरूर हमारा पूर्वजन्म का रिश्ता रहा होगा, वरना आजकल तो बुरे वक्त में अपना खून भी मुंह फेर लेता है।" ©Nilam Agarwalla #दादीमाँ