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~कविता~ "चट्टानें" बड़ चले है ये कदम,न डरते है तू

~कविता~
"चट्टानें"

बड़ चले है ये कदम,न डरते है तूफानों से २
ऊंची ऊंची चोटियों की
बर्फीली फनकारों से
और
भारत मां के शेर है हम,न डरते है ललकारो से २
दुश्मन की औकात नहीं
जो टकराए चट्टानों से।

*लोकेश कुमार शर्मा*

©Lokesh Kumar Sharma #IndianArmy चाईना और पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात मेरे सभी भारतीय सैनिकों को यह कविता समर्पित
~कविता~
"चट्टानें"

बड़ चले है ये कदम,न डरते है तूफानों से २
ऊंची ऊंची चोटियों की
बर्फीली फनकारों से
और
भारत मां के शेर है हम,न डरते है ललकारो से २
दुश्मन की औकात नहीं
जो टकराए चट्टानों से।

*लोकेश कुमार शर्मा*

©Lokesh Kumar Sharma #IndianArmy चाईना और पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात मेरे सभी भारतीय सैनिकों को यह कविता समर्पित

#IndianArmy चाईना और पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात मेरे सभी भारतीय सैनिकों को यह कविता समर्पित