ऐ ज़िन्दगी! क्या तुझसे थोड़ी सी ज़िन्दगी उधार मांग लूं सब है यहां रोटी, कपड़ा, मकान बस सुकून ही नज़र नही आ रहा क्या तुझसे थोड़ा सा सुकून उधार मांग लूं सब है यहां भाई-बहन, चाचा-बुआ बस रिश्ता ही नज़र नही आ रहा क्या तुझसे थोड़ा सा रिश्ता उधार मांग लूं सब है यहां दिन-रात, उजाला-अंधेरा बस समय ही नज़र नही आ रहा क्या तुझसे थोड़ा सा समय उधार मांग लूं सब है यहां दोस्त-यार, अपने पराये बस मैं ही नज़र नही आ रहा क्या तुझसे थोड़ी सी ज़िन्दगी उधार मांग लूं ऐ ज़िन्दगी... #ऐज़िन्दगी #ज़िन्दगी #MyPoem #PraveenBafna #PrawinBafna #HindiPoetry