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शीतल शीतल चले पवन!उड़ने लगा है ये गगन!उपवन में बज

शीतल शीतल चले पवन!उड़ने लगा है ये गगन!उपवन में बज रहा है सारंग!रिमझिम रिमझिम बदरा हैं बरसे दिनकर को हैं नैना तरसे!कितना मन भावन है ये सावन!झूम उठा देख सावन को बरखा को ये मन!मृगनि नयनों से प्रेम की भाषा बोले नृत्य कर मृग का मन मोहले !

©Dinesh Kashyap #One Season

#Flower
शीतल शीतल चले पवन!उड़ने लगा है ये गगन!उपवन में बज रहा है सारंग!रिमझिम रिमझिम बदरा हैं बरसे दिनकर को हैं नैना तरसे!कितना मन भावन है ये सावन!झूम उठा देख सावन को बरखा को ये मन!मृगनि नयनों से प्रेम की भाषा बोले नृत्य कर मृग का मन मोहले !

©Dinesh Kashyap #One Season

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