(दोहरा चरित्र) अनेक रंग रूप भेष बदलकर चेहरे पर नया मुखौटा पहन कर घूमते है। मुंह पर कुछ पीठ पीछे कुछ कहते है। इनका खुद का चरित्र नहीं होता है। फिर भी आपने बातो से लोगो का मन मोह लेते है। दिखावटी की दुनिया में ही राह जाते है। हाथ बढ़ा कर दोस्ती का नाम दे जाते है। पीठ पीछे सांप की तरह डस जाते है। कोई नहीं समझ पाता इनका निर्यात हर कोई इनके मुखौटा से अंजान राह जाता है। गिरगिटी की तरह अपना रंग बदलते बुराई को ढक अच्छाई का चादर ओढ़ कर सब को बहलाते है। अपनी मगरमच्छ की आंसूओ से लोगो का दिल जीत जाते है।, चेहरे पर नया मुखौटा पहन घूमते है। ©jyoti lohani दोहरा चरित्र.........