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फ़र्ज़ी एहसासों को, कविता!! नही कहते, मरुस्थल का ताप

फ़र्ज़ी एहसासों को,
कविता!!
नही कहते,
मरुस्थल का ताप,
आलिशान कोठियों,
में नही समझ आता,
कविता,
अनुभव है अनुभूति है,
जिसमे आपका,
बोध!!
परिलक्षित होता है,
कविता गुलाब की,
गमक ही नही,
चुभते कांटे भी हो सकती है।
कविता में महफ़िल का,
शोर ही नही,
मरघट का सन्नाटा भी,
हो सकता है।
कविता,
तुम्हारी वास्तविकता,
तुम्हारा प्रतिरूप भी है।।  #NojotoQuote कविता
#गुलाब
#कांटे
#मरुस्थल
#मरघट
#कविता
#स्वतंत्र
#nojotohindi
फ़र्ज़ी एहसासों को,
कविता!!
नही कहते,
मरुस्थल का ताप,
आलिशान कोठियों,
में नही समझ आता,
कविता,
अनुभव है अनुभूति है,
जिसमे आपका,
बोध!!
परिलक्षित होता है,
कविता गुलाब की,
गमक ही नही,
चुभते कांटे भी हो सकती है।
कविता में महफ़िल का,
शोर ही नही,
मरघट का सन्नाटा भी,
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कविता,
तुम्हारी वास्तविकता,
तुम्हारा प्रतिरूप भी है।।  #NojotoQuote कविता
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