नियति कहती है मेरी गाथा अदालतों में मंडप सजाये है जो चुप खड़े भगवान बने सब वकीलों ने मंत्र पढ़ाये है ये कैसा तुम्हारा न्याय-ब्यवस्था कैसी ज़मीर तुमने पाली है पल रहे सब पापी जन बनाये चार दीवारों में नज़रो में कोई शर्म नही तो पहना दो उन्हें चुड़िया हाथों में मांगो में काला सिंदूर भरा जाए नाको में नथनी डाली जाए चार दिवारी में क्या रख्खा है जनाब उन्हें तुरंत सजा ना दे सको तो नियम बनाओ,मुहर लगाओ ,के अब इन्ही से वंश आगे बढ़ायी जाए ©@mahi आज के नियम कानूनों को देखते हुए नारियो को आदि शक्ति कहना अब तसल्ली देने जैसा महसूस होता है।जहा इंसानियत पता नही कहा घुनमे चला गया है ,और उनके जगह नोटों के बंडलों ने ले लिए है।😔😔😔😔 #adishakti