के र,,,जब उतरा समाण और लगा यू महीना भादवे का, फेर मेरे राणा जी से मिलने की वो घड़ी आवेगी। र,, हर गांव हर शहर मैं, मेरे गोगा जाहर वीर की मोर पंख ते सजके वो लहरती छड़ी आवेंगी। (जय बाबा जाहर वीर राणा जी बागड़ वाली सरकार 🚩) ©om_shiv_gorakhnath जय बाबा जाहर वीर राणा जी