"तेरे सिवा..." अब कुछ याद नहीं कोई बात नही जीवन में जिंदगी में कोई रंग नहीं भूल चुका मस्तिष्क सबकुछ "तेरे सिवा" कोई स्मृति शेष नहीं...! दिन.. महीना.. साल... सब यूँ ही बीत रहे क्या बीत गया....क्या आने वाला है इसका कोई होश नहीं "तेरे सिवा" किसी पल का कोई हिसाब नहीं...! सबकुछ अजीब लगता है मन को कुछ लुभाता नहीं दिल को आकर्षित कोई करता नहीं अपना कोई लगता नहीं "तेरे सिवा"...! तन्हाई घेरती है अँधेरा डराता है अनजाना भय मन में समाता है तू मेरा नहीं फिर भी तुझे खोने का डर सताता है "तेरे सिवा" कोई हमदर्द दिखता नही....! उथल-पुथल है जीवन में "बेचैनी भी बेचैन है" मेरे संग में डूबा है दिल ग़म के सागर में "तेरे सिवा" "माँझी" कोई नज़र आता नहीं...! तेरे सिवा कोई दिखता नहीं अपना कोई लगता नहीं... "तेरे सिवा" कुछ याद नहीं... मुनेश शर्मा..(मेरे❤️✍️) तेरे सिवा कौन है मौजूद मेरे चारों ओर! #तेरेसिवा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi