हे विजय के पृथून्न नायक, तुम अब कहाँ चले हो ? भारती के लाल हो तुम, दीर्घ प्रवासी हो चले हो। भावभीनी श्रध्दाञ्जलि 😢😢😢 राष्ट्रपुरुष.....