रातों की नींद और दिन का सुकून सब गिरवी हो रही है साहब, अब धीरे–धीरे ख्वाहिशें बूढ़ी और जरूरतें भी तो जवान हो रही हैं। ©Vivek Singh ... #रातों की #नींद और #दिन का #सुकून सब #गिरवी हो रही है #साहब , अब धीरे–धीरे #ख्वाहिशें #बूढ़ी और #जरूरतें भी तो #जवान हो रही हैं।