रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए तेरी मोहब्बत में जलकर भी राख न हुए यह कैसी अगन है दिलों की , न बुझती है कभी, न जलती है कभी हम हो गए आपके फिर भी आप न हुए यह कैसी मोहब्बत