तू मेरे कापी की एक टुकड़ा होती तुझ पे मैं लिखता और तू ज़ार ज़ार रोती जब लिफाफे मे तुझ को बंद कर देता ऑसूओं की बरसात हो जाती ताहिर हुसैन दिल्ली ( भारत )