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तू मेरे कापी की एक टुकड़ा होती तुझ पे मैं लिखता

तू मेरे कापी की एक टुकड़ा होती 

 तुझ पे मैं लिखता और तू ज़ार ज़ार रोती 

जब लिफाफे मे तुझ को बंद कर देता 

ऑसूओं की बरसात हो जाती ताहिर हुसैन दिल्ली  ( भारत )
तू मेरे कापी की एक टुकड़ा होती 

 तुझ पे मैं लिखता और तू ज़ार ज़ार रोती 

जब लिफाफे मे तुझ को बंद कर देता 

ऑसूओं की बरसात हो जाती ताहिर हुसैन दिल्ली  ( भारत )
tahirhusain3228

Tahir Husain

New Creator

ताहिर हुसैन दिल्ली ( भारत )