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कभी - कभी खुद के लिए रौशनी की एक किरण ख़ुद ही जलान

कभी - कभी खुद के लिए रौशनी की एक किरण ख़ुद ही जलानी पड़ती है।
कांटे कितने ही बिछे हों राहों में
मुश्किलों से लड़कर खुद अपनी राह बनानी पड़ती है।

©शब्दों की जादूगरनी
  #अपने_रास्ते