जल ही इस संपूर्ण जगत का सबसे अनुपम धन है, जल पीकर जीते हैं सब प्राणी ये जल नहीं जीवन है। नदी, नहर, झील, सरोवर, भूतल में जल सागर गहरा, जल बिना सब सूना है जगत में, जल ही तो जीवन है। जल से होता अन्न धन फल पुष्पित और है वन उपवन जल पीकर ही धरा हो या प्राणी सभी प्यास बुझाते हैं। जल का जीवन में होता नहीं कभी कोई कहीं विकल्प, जल ही जीवन है जल को बचाने का करें सभी संकल्प। सौजन्य से:- साहित्यिक समाज 👉आइए आज लिखते हैं कुछ जल संरक्षण पर ... यह कोई प्रतियोगिता नही और न ही "साहित्यिक समाज" किसी भी कवि/ कवियित्रियों को हार जीत के तराज़ू में तौलने को इक्षुक है, यहाँ लिखने और सीखने में रुचि रखने वालों के लिए प्रत्येक दिन सिर्फ एक विषय दिया जाता है, जिसे वो अपने लेखनी के माध्यम से सजाते व सँवारते हैं। "साहित्यिक समाज" आप सभी कलमकारों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है। कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-