अभिसाप् जीवन मे सच की डोर को पकड़कर कर एक जाप, कोमल हृदय निर्मल जल सा चरित्र हो साफ, मृदु भाषी हो तन प्रफुल्लीत जो छोड़े औरो पर छाप झूठ लोभ और कायरता मानव के अभिशाप,, झूठ करे सच से दूर, लोभ तोडइ विश्वास, कायरता कब तक छूपे कभी तो आयेंगे यमराज, कायरता को दूर करो रखो वीरो सा विश्वाश , जन्म हुआ है मरण के लिए तोड़ो कायरता का विश्वाश,, सच एक ओसाधि है जो मन को रखे साफ , आत्मविश्वास से भर दे बढ़े जीवन मे मिठास , पराजित हुआ न सच कभी न तोड़ो तुम आस , जीत तुम्हारी होगी जब मन मे होगा विश्वाश , झूठ लोभ सब त्यागकर करो अपने हक की तलाश ©ashish yadav एक छोटी सी कविता मेरे द्वारा #Light