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बर्बाद मोहब्बत की, दास्तान ए हकीकत, खुलकर किसी के

बर्बाद मोहब्बत की, दास्तान ए हकीकत,
खुलकर किसी के सामने, कभी वो कह ना सके।

आंसुओं के साथ-साथ ,दिल का दर्द भी सीने
 में छुपा के रखते गए,  वक्त की यही मजबूरी थी।

 नज़र के सामने लुटता गया सब कुछ ,
कमाई ज़िंदगी भर की पूंजी ,कुछ बचा न सके।

शायद यही मंज़ूर था उसकी किस्मत 
को, वक्त की बेड़ियों को पाव से छुड़ाना सके।

रिस रिस के बहने लगे, घावों से दर्द के
  कतरे, कागज़ पर उतारे बिना और रह ना सके।

©Anuj Ray
  # बर्बाद मोहब्बत की दास्तान ए हकीकत
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Anuj Ray

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# बर्बाद मोहब्बत की दास्तान ए हकीकत #ज़िन्दगी

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