कुछ मेरी आदतें हैं बीती,फिर से अब उन्हें टटोलूँ मैं संदूकों में करी थी बन्द,लो फिर संदूकों को खोलूँ मैं जन्म से हैं मुझमें,क्षण भर में ही अपना लूंगा उनको होगी सीख मुझे भी फिर, कब और कितना बोलूँ मैं #स्वमं की ओर