Nojoto: Largest Storytelling Platform

दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और

दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था