कैद हैं उन चार दिवारी में जो बहुत ऊंची हैं छत दिखती नही संकरी इतनी की सांस ले नही पाते ढूँढते हैं कोई खिड़की दरवाज़ा अंधेरे में कोई खिड़की हाथ आती नही दीवारों में कैद कोई आस अब बाकी नही आज के इंसान ने अपने इर्द गिर्द दीवारें खड़ी कर ली हैं। जिनमें से कुछ ज़रूरी तो कुछ ग़ैर ज़रूरी हैं।#napowrimo में आज का विषय है #दीवारें #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi