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कभी तू सपनों में आती है, कभी यादों में कभी आकर सत

कभी तू सपनों में आती है, कभी यादों में 
कभी आकर सताती है, भीगी बरसातों में
कभी देखा नहीं मैंने तुझे, आखिर कैसी तेरी सूरत है
फिर भी इन सब से परे, तू मेरी ज़रूरत है

तेरी सूरत को न चाहा तेरी सीरत की मांँग है
सूरत तो मात्र एक छलिया स्वांग है
तुझे महसूस किया मैंने, हाँ तू इतनी खूबसूरत है
तुझे शायद खबर नहीं, तू मेरी ज़रूरत है

तेरी ज़रूरत है मुझे, तुझे शायद मेरी ज़रूरत होगी
जाने किस दिन, ये तेरे मेरे बीच दूरी खत्म होगी
 कभी चांँद को देखा, तो लगा जैसे तेरी मूरत है
मेरी पूरी कायनात से भी बढ़कर, तू मेरी ज़रूरत है 🎀 Challenge-194 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।
कभी तू सपनों में आती है, कभी यादों में 
कभी आकर सताती है, भीगी बरसातों में
कभी देखा नहीं मैंने तुझे, आखिर कैसी तेरी सूरत है
फिर भी इन सब से परे, तू मेरी ज़रूरत है

तेरी सूरत को न चाहा तेरी सीरत की मांँग है
सूरत तो मात्र एक छलिया स्वांग है
तुझे महसूस किया मैंने, हाँ तू इतनी खूबसूरत है
तुझे शायद खबर नहीं, तू मेरी ज़रूरत है

तेरी ज़रूरत है मुझे, तुझे शायद मेरी ज़रूरत होगी
जाने किस दिन, ये तेरे मेरे बीच दूरी खत्म होगी
 कभी चांँद को देखा, तो लगा जैसे तेरी मूरत है
मेरी पूरी कायनात से भी बढ़कर, तू मेरी ज़रूरत है 🎀 Challenge-194 #collabwithकोराकाग़ज़

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