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मैं कली नहीं अब पुष्पो की, की तोड़ मुझे तुम फिर लो

मैं कली नहीं अब पुष्पो की, की तोड़ मुझे तुम फिर लोगे
 पक्के है इरादे अब मेरे, मत सोचना, मोड़ उन्हें दोगे
 आ जाए कयामत तो भी क्या? मिट न पाएगा  वजूद मेरा
 जल रहा जो, मैं वो दीपक हूं, लौ न पाएगा बूझ मेरा
 मैं ना केवल वो पंछी हूं,  उड़ रहा जो  सिर्फ गगन में है
 देखो मुझमें है बाज़ छीपा, जो भीतर के अगन मे है 
संघर्ष की ऊँगली थाम के मैंने, अरमानों को  पाया है 
तू खुद सर्वस्व है, ये मुझको,  इस जग ने ही  बताया है
थम जाऊ, मैं वो ज्वार नहीं, 
मैं बाढ़ हूँ, बहती धार नहीं
 तूने नन्हे से बचपन को, जंजीरो तक मे कैद किया 
तेरे जोखिम को सहकर भी, इक क्षण मैंने न खेद किया 
डूबी थी जो कस्ती कलतक  , मिला उसे  किनारा है 
जो बुझबुझकर जला था कल , चमकता वो सितारा है
मुश्किल था कल जीना मेरा, पर मरना था स्वीकार नहीं 
कर रही थी जंग खुद से ही मैं, माना था अबतक हार नहीं 
कोमल माटी का घड़ा नहीं, मैं पत्थर की अब मूरत हूँ 
 वर्षो तक जग से छुपा रखा  , तू देख,  वही मैं सूरत हूँ 
जिन आँखों मे पानी थे कभी, तेरे जुल्म को उसने कैद किया 
मछली के आँखों को मैंने, अर्जुन की भांति भेद दिया 
अरमा ने गगन भी छुआ है, पर पाँव अभी भी तल पर है 
पाकर भी कमी सी खलती है, गुस्सा क्यू मेरा कल पर है 
बदला न लुंगी, समझ लो तुम , इंसाफ करुँगी बेशक़ मैं 
जिन अधिकारों से  जुदा किया, लुंगी तुझसे सारे हक़ मैं

©✍️verma priya #myvoice #हैप्पीनेस #सनसेट #विचार #कोट्स #पोएम  Ahmed jutt  //diksha// singer Neha Gølû Kumar jha MD Mannan anssri
मैं कली नहीं अब पुष्पो की, की तोड़ मुझे तुम फिर लोगे
 पक्के है इरादे अब मेरे, मत सोचना, मोड़ उन्हें दोगे
 आ जाए कयामत तो भी क्या? मिट न पाएगा  वजूद मेरा
 जल रहा जो, मैं वो दीपक हूं, लौ न पाएगा बूझ मेरा
 मैं ना केवल वो पंछी हूं,  उड़ रहा जो  सिर्फ गगन में है
 देखो मुझमें है बाज़ छीपा, जो भीतर के अगन मे है 
संघर्ष की ऊँगली थाम के मैंने, अरमानों को  पाया है 
तू खुद सर्वस्व है, ये मुझको,  इस जग ने ही  बताया है
थम जाऊ, मैं वो ज्वार नहीं, 
मैं बाढ़ हूँ, बहती धार नहीं
 तूने नन्हे से बचपन को, जंजीरो तक मे कैद किया 
तेरे जोखिम को सहकर भी, इक क्षण मैंने न खेद किया 
डूबी थी जो कस्ती कलतक  , मिला उसे  किनारा है 
जो बुझबुझकर जला था कल , चमकता वो सितारा है
मुश्किल था कल जीना मेरा, पर मरना था स्वीकार नहीं 
कर रही थी जंग खुद से ही मैं, माना था अबतक हार नहीं 
कोमल माटी का घड़ा नहीं, मैं पत्थर की अब मूरत हूँ 
 वर्षो तक जग से छुपा रखा  , तू देख,  वही मैं सूरत हूँ 
जिन आँखों मे पानी थे कभी, तेरे जुल्म को उसने कैद किया 
मछली के आँखों को मैंने, अर्जुन की भांति भेद दिया 
अरमा ने गगन भी छुआ है, पर पाँव अभी भी तल पर है 
पाकर भी कमी सी खलती है, गुस्सा क्यू मेरा कल पर है 
बदला न लुंगी, समझ लो तुम , इंसाफ करुँगी बेशक़ मैं 
जिन अधिकारों से  जुदा किया, लुंगी तुझसे सारे हक़ मैं

©✍️verma priya #myvoice #हैप्पीनेस #सनसेट #विचार #कोट्स #पोएम  Ahmed jutt  //diksha// singer Neha Gølû Kumar jha MD Mannan anssri

#myvoice #हैप्पीनेस #सनसेट #विचार #कोट्स #पोएम Ahmed jutt //diksha// singer Neha Gølû Kumar jha MD Mannan anssri