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सौम्य, सरस, परागपूरित, भावों के रंगिम रूप कुसुम! म

सौम्य, सरस, परागपूरित,
भावों के रंगिम रूप कुसुम!
मन्द-मन्द मुस्काते हो तुम 
सहज स्नेह पाते खिल जाते
कहीं धूप तो कहीं छाँव में
निज प्रकृति से मिल जाते हो
सचमुच स्नेहिल मन जैसे तुम
मृदुल, मनोहर, अतिशय मधुरिम
मन के तन्तु...स्नेह के तन्तु
रंग-रंग के पंख सँजोये
पग वाले और पंखों वाले
विस्मित सा आकर्षण पाएँ
बिना डोर ही बँध जाते हैं
निरा ठगे से रह जाते हैं
सदय मौन की भाषा में
क्या तुम ऐसा कह जाते हो
लता, पत्र, तृण कि कंटक हो
धीर धनी तुम अनुरंजक हो
रंगत! तुम सबको रंग लेते 
भाव बोध चुपरहकर देते
भावकोष पा सदा विहसते
कटुता पाकर गल जाते हो
एक वृन्त पर सँजो लो मधुबन
तनिक रुखाई हर ले जीवन
मसले गए यदि भाव सम
तृण-तृण सहज बिखर जाते हो
यदि हृदय पीयूष मिल जाए
अधरों सी शोभा पाते हो
सचमुच बिल्कुल मन जैसे हो
मन की ही रंगत लाते हो


 #floralfeel
सौम्य, सरस, परागपूरित,
भावों के रंगिम रूप कुसुम!
मन्द-मन्द मुस्काते हो तुम 
सहज स्नेह पाते खिल जाते
कहीं धूप तो कहीं छाँव में
निज प्रकृति से मिल जाते हो
सचमुच स्नेहिल मन जैसे तुम
मृदुल, मनोहर, अतिशय मधुरिम
मन के तन्तु...स्नेह के तन्तु
रंग-रंग के पंख सँजोये
पग वाले और पंखों वाले
विस्मित सा आकर्षण पाएँ
बिना डोर ही बँध जाते हैं
निरा ठगे से रह जाते हैं
सदय मौन की भाषा में
क्या तुम ऐसा कह जाते हो
लता, पत्र, तृण कि कंटक हो
धीर धनी तुम अनुरंजक हो
रंगत! तुम सबको रंग लेते 
भाव बोध चुपरहकर देते
भावकोष पा सदा विहसते
कटुता पाकर गल जाते हो
एक वृन्त पर सँजो लो मधुबन
तनिक रुखाई हर ले जीवन
मसले गए यदि भाव सम
तृण-तृण सहज बिखर जाते हो
यदि हृदय पीयूष मिल जाए
अधरों सी शोभा पाते हो
सचमुच बिल्कुल मन जैसे हो
मन की ही रंगत लाते हो


 #floralfeel