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#OpenPoetry राहें इंतजार में बेठी हैं, मंजिलें निग

#OpenPoetry राहें इंतजार में बेठी हैं,
मंजिलें निगाहें जमां कर बेठी हैं 
तेरे आने की आहट में ए मुसाफ़िर 
पूरी कायनात 
पलकें बिछा कर बेठी हैं
#OpenPoetry राहें इंतजार में बेठी हैं,
मंजिलें निगाहें जमां कर बेठी हैं 
तेरे आने की आहट में ए मुसाफ़िर 
पूरी कायनात 
पलकें बिछा कर बेठी हैं