फिर तेरे शहर में तेरी कहानी याद आई, वो तेरा हुस्न, वो अपनी जवानी याद आई। किस तरह तेरी गली में थे हमारे चर्चे, हों जैसे कल की ही बातें पुरानी, याद आई। एक अर्से के बाद मैंने कदम जो रक्खे, तेरी गलियों की वो शामें सुहानी, याद आई। वो मेरे लम्स-ए-नज़र को यूँ मचलना तेरा, के वो दौर-ए-मोहब्बत रूमानी, याद आई। वो तेरी चाहत-ओ-दीवानगी, तेरा अहसास, कभी दुनियावी तो कभी रूहानी, याद आई। कुछ पल का हमसफ़र था कोई तेरी तरह, सुना था मैंने कहीं मुंहजबानी, याद आई। माना मुझे ठुकरा दिया दुनिया ने मगर, कोई तो थी कभी मेरी दीवानी, याद आई। लम्स = स्पर्श फॉलो करें। मेरे ग़ज़लों पर आपके विचार (प्रशंसा-आलोचना) आमंत्रित हैं। 🙏🙏🙏 #फिर_तेरी_कहानी_याद_आयी #तेरेशहर #तेरे_शहर #अहसास #कहानी #हुस्न #yqdidi #yqbaba