नहीं नसीब में हमारे ग़म-गुसार कोई, होते पास नासेह जो होशियार करते। इश्क़ में ग़म, आंसू और फौत है हिलाल, जी गए होते गर उन्स का कारोबार करते। जान न पाया हाल-ए-दिल भी हमसफर हमारा, चर्चे होते गर ज़ख़्म-ए-जिगर का इश्तेहार करते। हम को मालूम थी हकीकत तेरी ऐ वादा-शिकन क्या करते तेरे वादे पर अगर न एतिबार करते। दिल तोड़ना एक खेल था तुम्हारा तो हमने ख़ुद ही, दिल तोड़ लिया वरना ये गुनाह तुम बार-बार करते। ~Hilal Ishq ka Karobar