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# हिंदी साहित्# हिंदी कविता# ____________&&&&&&&

#  हिंदी साहित्#  हिंदी कविता#
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अपने  पन की भीड़ में हमने अपनों को कम देखा है। 
अपनों के ही बीच में अपनी आँखों को नम देखा है।। 
एक वर्ष मे एक माह मधुमास सुना तो है  हमने। 
किंतु उसी मधुमास में हमने रोता सावन देखा है।। 
अपने की भीड़ में हमने..... 
हिम गिरि समान हृदय भी बहुत संकुचित देखें है। 
ऐसे  बहुत विशाल हृदय का भी छोटा मन देखा है।। 
अपने पन की भीड़ में हमने......... 
आडंबर की धाक जगत में जब जब चलन में आई है। 
सत्य झूठ में आडंबर का नंगा तन देखा है।। 
अपने पन की भीड़ में हमने........ 
कई बार धोखा होते हैं रंग बिरंगे बाग सदा। 
हरित बाग के बीच में हमने काँटों का वन देख है।। 
अपने  पन की भीड़ में हमने....... 
समय साथ दे जाए तो पत्थर महान बन जाते हैं। 
कंटक वन उपवन भी बन जाते हैं मनभावन देखा है।। 
अपने पन की भीड़ में हमने..... 
लालच लोलुपता आडंबर चलन बन गए हैं ऐसे। 
जो हैं स्वयं ही बहुत घिनोने उन्हें लुभाबन देखा है। 
अपने पन की भीड़ में हमने........ 
बड़ी बड़ी बातें करना है सरल किंतु सब सत्य नहीं। 
वस्त्रों के भीतर सबका ही होता नंगा तन देखा है। 
अपने पन की भीड़ में हमने ........ 
देख रहे हैं सत्य पुजारी भी असत्य अपनाता है। 
कथनी करनी के अंतर को भी होते पावन देखा है।। 
अपने पन की भीड़ में हमने....... 
राम बहुत होंगे दुनिया में पर सच कैसे मानें। 
आज तलक तो राम के अंदर हमने रावन देखा है।। 
अपने की भीड़ में हमने अपनों को कम देखा है
अपनों के ही बीच में अपनी आँखों को नम देखा है।। 
अपने पन की भीड़ में हमने।।।।।। 
            🙏🙏🙏🙏🙏आशुतोष अमन।। 
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©Aashutosh Aman.
  अटल सत्य।

अटल सत्य। #कविता

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