परिवर्तन की लहर वास्तविक्ता हो रचनाओं में, हो लोगों में उमंग छाई, देखो कैसी परिवर्तन की, घड़ी समीप चली आई । परिवर्तन हो, परिवर्तन हो, किस तरह की ये नवतरंग आई, काव्य रचना की किरण प्रकाशित, हर तरफ है अब छाई- छाई । जहाँ तक रवि का प्रकाश नहीं था, कवि की वहाँ रचना छाई, हो लोगों में लगन पढ़ने की, हो साहित्य के लिए गहराई । किस तरह का होगा परिवर्तन ये, लोगों में उत्सुकता छाई, लोगों में पढ़ने लिखने के लिए और भी जागरूकता आई । मन की बात अगर कह ना सको, तो उसे लिख देना अच्छा है, अपने विचारों को व्यक्त करने से, मन में आत्मविश्वास बढ़ता है। अपनी दिव्य रचनाओं से तुम, लोगों में विश्वास जगा सकते हो, उनकी खोई हुई उम्मीदें वापस लाकर, उन्हें नई दिशा दिखला सकते हो । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # परिवर्तन की लहर