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जब आई थी सज कर मैं तेरे द्वार आंखों में हजारों सपन

जब आई थी सज कर मैं तेरे द्वार आंखों में हजारों सपने और दिल में लेकर प्यार,
होगा मेरा भी घर संसार,
एक छोटा सा आशियाना जिसमें होगा ढेर सारा प्यार,
कहीं तेरा गुस्सा तो, कहीं मेरी नाराजगी,
छोटी-छोटी बातों से पड़ती गई रिश्ते में गांठ,
मैं समझा ना पाई तू समझ ना पाया, धीरे-धीरे आती गई हम दोनों के बीच एक गहरी दरार,,।

©Amita Maurya
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