ग़ज़ल:- जब मुझे तू याद आता है, यादों की गहराई तक, कुछ यूं समा जाता है। दिल अचानक सहम जाता है, जब मुझे तू याद आता है।। जिस राह पर हमारी यादों का पहरा होगा, उम्मीद है दिल को उसी मोड़ पर तू ठहरा होगा। तेरे साथ कि कभी कदर न कि, लगा नही था तुझसे बिछड़ने का सदमा गहरा होगा।। तन्हाई का मंज़र सा छा जाता है, जब मुझे तू याद आता है। तेरी नज़दीकियों का एहसास होता है, लगता है तू आज भी मेरी गोद में सिर रख कर सोता है। तन्हाई में दिल अक्सर रोता है, दूर होकर भी तेरे क़रीब होता है।। अश्क़ों का सैलाब पलकों से छलक जाता है, जब मुझे तू याद आता है।। मेरे रूठने से तेरे मनाने तक, मेरे रोने से तेरे हंसाने तक, बातें करते हुए रात सोने तक, तेर ख्वाबों के साथ जागने तक, मेरे आने से तेरे जाने तक, हर पल उन लम्हों में तू समा जाता है जब मुझे तू याद आता है।। तुझसे मिलने की बात पर सांस जम सी जाती थी, न मिलने पर धड़कन थम सी जाती थी। तुझे न पा कर आंखे हो नम सी जाती थी तेरी रूह मेरे अक्स में रम सी जाती है।। साया तेरा मुझसे जुदा हो जाता है, जब मुझे तू याद आता है। तेरी चाहत भुलाना आसान नहीं राहुल, तू हर जगह नज़र आता है, ये वो इबादत है मेरी उससे, जो दुआ का असर नज़र आता है, तेरे साथ गुज़ारे लम्हों का कारवां सा बन जाता है, जब मुझे तू याद आता है।। तुझसे मिलने की उम्मीद मिलती है अब, अरमानों की लौ जलती है अब, दर्द की आह सी निकलती है अब, जिस्म से जान निकलती है अब, तू आजा की ज़िंदगी की शाम ढलती है अब, अब तो आईना भी मुझे मुह चिढ़ा जाता है, जब मुझे तू याद आता है।। यादों की गहराई तक, कुछ यूं समा जाता है। दिल अचानक सहम जाता है, जब मुझे तू याद आता है।। - राहुल कांत #ghazal #waiting #Feeling #Love #raahulkant #alone