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जहा भी रुकोगे, वाहिसे शुरुवात करना, कलम का ही देख

जहा भी रुकोगे,
वाहिसे शुरुवात करना,

कलम का ही देखो,
हर जगह रुकती है, 
फिर भी पहले से शुरुवात करती है,

लेकीन 
खतम तभी होती है,
जब मक्सद पुरा हो जाये...

-  शुभम दिपक कांबळे #start_again_start
जहा भी रुकोगे,
वाहिसे शुरुवात करना,

कलम का ही देखो,
हर जगह रुकती है, 
फिर भी पहले से शुरुवात करती है,

लेकीन 
खतम तभी होती है,
जब मक्सद पुरा हो जाये...

-  शुभम दिपक कांबळे #start_again_start