मेरी जिन्दगी को तन्हाई ढूँढ लेती है, मेरी हर खुशी को रुसवाई ढूँढ लेती है, ठहरी हुई हैं मंजिलें अंधेरों में कबसे, मेरे जख्म को गमे-जुदाई ढूँढ लेती है! @ianilraj01 मेरी जिन्दगी को तन्हाई ढूँढ लेती है, मेरी हर खुशी को रुसवाई ढूँढ लेती है, ठहरी हुई हैं मंजिलें अंधेरों में कबसे, मेरे जख्म को गमे-जुदाई ढूँढ लेती है! #ianilraj01