धारावाहिक सा है जीवन बातों का घनत्व यही , यही पर विष प्रचार है , वाणी है घनी घनी , कैसा दुर्व्यवहार है। प्रसारित होते अध्यायों का , कैसा यूं आधार है , धारावाहिक सा है जीवन , प्रत्यक्ष यह संसार है।। लोगों का घमंड है , झूठ भी प्रचंड है , बातों का कीर्तिमान है , यह कैसा अभिमान है। अभिमानियों की लगी लड़ी है , अपमानित हुआ प्रचार है , धारावाहिक सा है जीवन , प्रत्यक्ष यह संसार है।। कुख्यात है प्रकार भी , विष के है आधार भी , अंतर्मन परित्याग है , सबके मन में आग है। मित्रता को लेकर भी , यहां नजरों का व्यापार है , धारावाहिक सा है जीवन , प्रत्यक्ष यह संसार है।। झूठ भी समाप्त हो , बातों का अब लाभ हो , बातों का रण छोड़ कर , साफ अंधेरी रात हो। कण कण मे श्री राम हो , प्रभु का सिर्फ प्रचार है , धारावाहिक सा है जीवन , प्रत्यक्ष यह संसार है।। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi #Journey #धारावाहिक_सा_है_जीवन #kavita #Poetry #Shayar